જિંદગી નું ગણિત.




ज़िन्दगी के गणित...

by


Naveen Kumar



बस गेन-लॉस में डुबा रहा ।

संकट में डेरिवेशन करते,

सॉल्यूशन में लगा रहा ।।

जीवन का मैट्रिक्स हर कदम,

एक कॉलम नया बनाया 

ज़िन्दगी ऐसे गणित सिखाया ।।


रिश्तों के ईकोनोमिक लॉजिक,

कोई अब तक समझ ना पाया ।

हम डेबिट-क्रेडिट में लगे रहे,

पर ट्रांजैक्शन हाथ ना आया ।।

ज़िन्दगी ऐसे गणित सिखाया 


पत्नी पैरेलेल संग चलीं,

पर थ्योरी मेल ना खाया ।

बच्चे तीर्यकच्छेदी बनकर,

दोनों को काट रुलाया ।।

ज़िन्दगी ऐसे गणित सिखाया ।


रिश्तेदारों ने तो अच्छा,

त्रिकोणमिति समझाया ।

साइन, कॉस और टैन लगा भी,

कोई दूरी माप ना पाया ।।

ज़िन्दगी ऐसे गणित सिखाया 


पास-पड़ोसी ने तो दिल से,

बोडमास बतलाया ।

घड़ी-घड़ी बस ब्रैकेट बनकर,

उलझन में उलझाया ।।

ज़िन्दगी ऐसे गणित सिखाया ।


सांख्यिकी की शिक्षा हमने,

दोस्तों के संग पाया ।

संग्रहित द्रव्य का माध्य निकाल,

पार्टी साथ मनाया ।।

ज़िन्दगी ऐसे गणित सिखाया ।


- नवीन कुमार


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